साँसें मेरी भयभीत सी,
आँखें मेरी हारी हारी|
जीने का एक बहाना ढूंडा,
सिर्फ मौत मिली बारी बारी|
अल्लाह को पुछा, बता न सका|
मेरे बदन में जलती आग को वोह बुझा न सका|
अल्लाह ने ओढा चादर तो और प्यास मिली,
औरों की कब्रों मैं मुझे अपनी ही परछाई मिली|
मैं जीना चाहता था, मैं जीना जानता था|
मेरी आँखों में भगवान् का बसेरा था|
लेकिन वोह सब मुझसे उस रात चली गयी रे,
जब वोह ख्याल उस रात मेरे करीब आई रे|
4 comments:
Proud of you :)
Nicely written abhi.. :)
very impressive....:-)
This, for me, is one of Your best works pa..! :)
Cherish it..! :)
Cheers..! :)
{Jusst one request..can we make it "Wo" instead of the transliterated form of WoH..? That's it..Don't TOUCH it..!!}
Beautiful..!!
THANK you..fer "throwing" it out..! :)
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